एकता का महासंगम कोटपुतली शपथग्रहण समारोह- रामचन्द्र जांगड़ा, सांसद

मुझे विगत महीने 14 फरवरी को अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा द्वारा आयोजित महासभा के पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का सुअवसर प्राप्त हुआ। मुझे पहली बार इस बात का अहसास हुआ कि जांगिड़ समाज में एकता और भाईचारे की भावना बलवती है, लेकिन इस भावना को आत्मसात करके एकता के सूत्र में बांधने का काम किया है। इस शपथ ग्रहण समारोह में महासभा के 114 वर्षों के इतिहास में पहली बार विभिन्न प्रदेशों की सांस्कृतिक परम्पराओं और विरासत को एक सूत्र में बांधने का स्तुत्य प्रयास किया गया, जहां पर देश के कोने-कोने से 20 से अधिक प्रदेशों से आए प्रदेशाध्यक्षों ने अपनी सहभागिता सुनिश्चित करके समारोह में चार चांद लगा दिए।
इस सबका श्रेय जाता है, सदाशयता, सादगी और सरलता की प्रतिमूर्ति अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नेमीचंद शर्मा जांगिड़ और झूझारू प्रवृत्ति के धनी अनिल एस0 जांगिड़ को, जिन्होंने इस समारोह को राष्ट्रीय स्तर का बनाने का सद्प्रयास किया और इस यज्ञ को सफल बनाने का दायित्व संभाला। जांगिड़ समाज के दानवीर और मानवीय संवेदनाओं की प्रतिमूर्ति सत्यनारायण जांगिड़, जिन्होंने अपना कृषि फार्म हाउस समाज को समर्पित करके आत्मीयता का परिचय दिया और सफल समारोह के दायित्व का कुशलता पूर्वक निर्वहन करके गरिमा हासिल की है। समारोह की गरिमा को चार चांद लगाने का काम किया लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने, जिन्होंने अपने ओजस्वी उद्बोधन में जांगिड़ ब्राह्मण समाज के प्राचीन वैभव और इसकी गौरवशाली महान परम्पराओं का उल्लेख करते हुए इस समाज के अतीत, वर्तमान और भविष्य में शिल्पकला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए भूरि-भूरि प्रशंसा की और कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से देश को गौरवान्वित करने का सार्थक प्रयास करने का संदेश दिया।
मुझे भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। मेरा सदैव से ही यह मान्यता रही है कि देश के उन मूर्धन्य कलाकारों को उनका उचित स्थान दिलवाया जाए, जिसके वे वास्तविक रूप से अधिकारी हैं। इसके पीछे कारण जो भी रहे हों, मैं उन कारणों में नहीं जाना चाहता हूं, लेकिन एक बात निश्चित है कि देश के वैज्ञानिक सोच और कलात्मकता के उत्कृष्ट उदाहरण विशाल भव्य प्रसाद, ऐतिहासिक स्मारक और हमारे देश ही नहीं, अपितु विदेशों में भी अमूल्य धरोहरों का निर्माण करने वाले महान कारीगरों और शिल्पकारों को मान-सम्मान दिलवाना मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है। एक सांसद होने के नाते मेरा यह सर्वोच्च कर्तव्य है कि जिस समाज से मेरा सम्बन्ध है, उसकी गरिमा और प्रतिष्ठा को द्विगुणित कर सकूं और उन शिल्पकारों और कलाकारों को उचित सम्मान दिलवा सकूं, जो अपनी बेजोड़ कला का प्रदर्शन करने के पश्चात कहीं गुमनामी के अंधेरे में खो गए हैं। यही कारण था कि मैंने राज्य सभा में दिए गए अपने पहले उद्बोधन में ही, अजन्ता-एलोरा की गुफाएं, कोणार्क का मन्दिर, खजुराहों के भीत्ति चित्र, चार मीनार, कुतुब मीनार जैसी धरोहर और देवी देवताओं की भव्य प्रतिमाएं और आदमकद मूर्तियां, अपने आप में एक गौरवशाली इतिहास समेटे हुए है। इस गरिमामय इतिहास को संजोकर रखने और उन महान कलाकारों को मान सम्मान दिलवाने का हर संभव प्रयास किया जायेगा ताकि उनकी पहचान को अंकित किया जा सके।
इस दिशा में भविष्य में सकारात्मक प्रयास करने की हर संभव कोशिश की जाएगी। इस के बारे में मेरा सुझाव है कि इन निर्माता शिल्पकारों और निर्माण कार्य करने वाले शिल्पियों का नाम भी पट्टिका पर अंकित किया जाए, जो हमारे इतिहास की अमूल्य धरोहर है। मैं समाज की एकता और आपसी भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने का सदैव ही समर्थक रहा हूं और हमेशा मेरा यह प्रयास भी रहा है। यही कारण है कि परमात्मा की असीम अनुकम्पा से मैंने सदैव ही यथासंभव प्रयास किया है कि मैं बिना पक्षपात और भेदभाव के राजनीति और पार्टी से हटकर, मेरे से समाज के लोगों के लिए जो कुछ भी बन पड़ेगा, उस दायित्व को मैं पूरा करने का हर संभव प्रयास करुंगा। मुझे हाल ही में, दक्षिणी भारत के चार राज्यों में जाने का और इस दौरान जांगिड़ और विश्वकर्मा वंशी लोगों से मिलने का सुअवसर व सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैं उन लोगों द्वारा प्रदान किए गए प्यार और सम्मान से अभिभूत हो गया तथा उन्होंने मेरे प्रति जो आत्मीयता दिखलाई है, उसका मैं सदैव ही कायल रहूंगा।
आप सबके भरोसे और विश्वास को अपनी ताकत मानते हुए ही मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करके उनसे आग्रह किया कि देश भर का विश्वकर्मा समाज 17 सितम्बर 2021 को अपने आराध्य देव कला और विज्ञान के प्रणेता भगवान विश्वकर्मा जी का नमन दिवस समारोह मनाने के लिए एक उत्सव का आयोजन करने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि बनने की सहर्ष अनुमति प्रदान कर दी है। यह समारोह विश्वकर्मा समाज को एकता के सूत्र में बांधने के लिए एक मील का पत्थर सिद्ध होगा और मुझे पूरा भरोसा व विश्वास है कि इस समारोह के सफल आयोजन में उतर भारत के लोगों का तो अभूतपूर्व योगदान होगा ही, दक्षिण भारत के लोगों का भी अमूल्य योगदान होगा।
कोटपुतली में मुझे विभिन्न प्रदेशों से आए प्रदेशाध्यक्षों से रुबरु होने का सुअवसर भी प्राप्त हुआ जिससे पता चलता है कि जांगिड़ समाज के लोगों ने अपने परिश्रम, लग्न और मेहनत से एक विशेष मुकाम हासिल किया है। मुझे पूरा विश्वास और भरोसा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष नेमीचंद शर्मा जांगिड़ ने समाज को एकता के सूत्र में बांधने का जो बीड़ा उठाया है उस स्तुत्य प्रयास के लिए मैं इन्हें बधाई और साधुवाद देता हूं। आने वाले समय में इस अभियान के बड़े ही सार्थक परिणाम सामने आएंगे। इसलिए मैं अपने अनुभव के आधार पर यह निश्चित रूप से कह सकता हूं कि समाज में आपसी भाईचारा और सद्भावना तथा आपसी तादात्म्य स्थापित होगा तो हम सभी निश्चित रूप से सामाजिक चेतना के साथ-साथ राजनैतिक क्षेत्र में भी एक नया मुकाम हासिल करने में सक्षम होंगे।
मैं जांगिड़ समाज के साथ ही सभी विश्वकर्मा वंशीय लोगों से और विशेषकर बुद्धिजीवियों से विनम्र निवेदन और आग्रह करता हूं कि समाज उत्थान में आपसी वैमनस्य की भावना को तिलांजलि देकर एक नए समाज के निर्माण के लिए आगे बढ़कर अपना बहुमूल्य योगदान दें। समाज का इतिहास भविष्य में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा और आप सब लोग इस महायज्ञ में आहूति डालने वाले महानायक होंगे, ऐसा मुझे पूर्ण भरोसा और विश्वास है। आज समय बदल चुका है, जांगिड़ समाज के युवाओं में एक नई चेतना और विशेष जागृति आई है, उनको मार्गदर्शन की जरूरत है जिससे वह नई नई चुनौतियो का सामना करते हुए अपना रास्ता स्वयं ही प्रशस्त कर सकें।
लेखक- रामचन्द्र जांगड़ा (सांसद राज्यसभा)
(संकलन- रामभगत शर्मा)