अभिनव प्रयोगों के लिए मशहूर हैं आईएएस डॉ0 समित शर्मा

0
Spread the love

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत पेंशन एवं छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले लाभार्थियों को अब सारे झंझटों से मुक्ति मिल गई है। योजनाओं के लाभ और लाभार्थियों के बीच की इस दूरी को मिटाया है- “डॉ0 समित शर्मा ने।” राजस्थान में जन-जन के लिए उपयोगी साबित हुई निशुल्क दवा योजना को लेकर समूचे देश मे चर्चा में आए सीनियर आईएएस डॉ0 समित शर्मा वर्तमान में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में शासन सचिव के पद पर कार्यरत है। और उन्होंने इस विभाग में भी अभिनव प्रयोग के साथ अनूठी पहल के माध्यम से फिर एक बार साबित कर दिया कि उन्हें प्रतीक्षा की अंतिम सूची में खड़े व्यक्ति का चेहरा भी पंक्ति के प्रथम में खड़े व्यक्ति की भांति स्पष्ट नजर आता है।

गौरतलब है कि पूर्व में पेंशन व छात्रवृत्ति इत्यादि लाभों और लाभ प्राप्त करने वाले लाभार्थियों के बीच कागजी पेटा भराई की इतनी कठिन प्रक्रिया थी कि अभ्यर्थी कागजी खानापूर्ति के दौरान सरकारी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के यहां चक्कर लगाते-लगाते इस कदर थक जाते थे कि वे कागजों को फेंक लाभ प्राप्त करने की दौड़ से अलग हो जाना ही उचित समझते थे। सरकारी सेवा के दौरान सदैव ही वंचितों के चेहरे पर मुस्कान के लिए हरेक महकमे में अभिनव प्रयोग करते रहे डॉ0 शर्मा ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में 6 माह पूर्व पद संभालते ही सबसे पहले सभी योजनाओं का सूक्ष्म अध्ययन करते हुए उनके क्रियान्वयन के दौरान मुसीबत की भांति हर बार सामने खड़ी होने वाली खामियों को तलाशा और फिर सरलीकरण की दिशा में मील का पत्थर गाड़ने की दिशा में अग्रसर हुए। लगभग 5 माह की भारी कसरत के बाद डॉ.शर्मा ने गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर 2021 को योजनाओं के क्रियान्वयन को सरलीकरण में बदलने की अपनी मुहिम आरम्भ कर दी।

2 अक्टूबर के दिन डॉ.शर्मा द्वारा किया गया यह अनूठा बदलाव न सिर्फ सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में नया सवेरा लेकर आया है। बल्कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के एक अचूक मंत्र को भी अभिमंत्रित करता है। जिसमे महात्मा गांधी ने खुद कहा था कि मैं तुम्हें एक जंतर देता हूँ। जब भी तुम्हारे व्यक्तित्व पर अहंकार हावी होने लगे तो इसे कसौटी समझ खुद को परख लेना। गांधी बोले- “जो सबसे गरीब और कमजोर आदमी तुमने देखा है,उसकी सूरत का स्मरण कर अपने अंतर्मन से पूछना की क्या जिस कदम को उठाने का तुम विचार कर रहे हो,क्या वह उस आदमी के लिए उपयोगी व लाभकारी सिद्ध होगा? खुद से यह भी पूछना की क्या आपके कदम से उन करोड़ों लोगों को स्वराज्य मिल सकेगा,जिनके पेट भूखे है और आत्मा अतृप्त है ? चिंतन की इस कसौटी पर परखने के बाद तुम महसूस करोगे की तुम्हारे मस्तिष्क में उठ रहे संदेह के बादल विलुप्त हो रहे है और तुम्हारे विवेक पर राक्षस की भांति आ बैठा दंभ का राक्षस धराशायी हो चुका है।”

शासकीय कर्तव्य के पथ पर प्रत्येक विभाग में अपनी विशिष्ट सोच,अनूठी कार्यशैली, अपने अधीनस्थों के साथ साथ आमजन से मित्रवत मधुर व्यवहार तथा फैंसले लागू करने में दिखाई गई हस्तक्षेप रहित दृढ़ता के अमिट पदचिन्ह अंकित करते रहे डॉ0 शर्मा ने एक बार पुनः साबित कर दिया कि एक मात्र भारतीय संविधान ही उनके लिए सर्वोपरि है और वे एक धोती और लाठी के बूते गुलामी की जंजीरे तोड़ने निकले उस दुबले पतले मगर दृढ़ निश्चयी व्यक्तित्व के सच्चे और पक्के अनुयायी है, जिसे महात्मा गांधी कहा जाता है। तभी तो उन्होंने भारतीय संविधान के भाग चार में दिए गए राजकीय नीति निर्देशक तत्वों में समाज कल्याण की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण अनुच्छेद 41 और 42 की मंशा को धरातल पर लागू करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होने वाला ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

गौरतलब है कि भारत मे 15 अगस्त 1995 से नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम आरम्भ हुआ था। इसी प्रोग्राम के तहत सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग विभिन्न योजनाओं के तहत उन वंचितों को पेंशन एवं छात्रवृत्ति का लाभ प्रदान करता है,जो सामाजिक,आर्थिक,शारिरिक एवं मानसिक तौर पर समाज मे कमजोर है।

यह बात अलग है कि लाभ और लाभार्थियों के बीच कागजी खानापूर्ति की जटिलता सदैव ही लाखों पात्र अभ्यर्थियों को लाभ से वंचित करती रही है। सर्वविदित है कि ऑफलाइन प्राप्त होने वाले पेंशन व छात्रवृत्ति के आवेदन ऑनलाइन की तकनीकी के आने से पहले लापरवाही के लाल बस्तों में बंधे -बंधे धूल फांकते रहते थे। निस्संदेह ऑनलाइन आवेदनों से कुछ सुधार हुआ लेकिन इसके बाबजूद लाभार्थी या तो सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को विवश थे या फिर बिचौलियों के जाल में फंसकर मिलने वाले लाभ के बड़े भाग को दलालों के हाथों लुटा देते थे। डॉ.शर्मा ने इसी असाध्य रोग को परखा।

फाइलों की नब्ज टटोली और क्रियान्वयन के दौरान लाभार्थियों के सामने आने वाली सारी परेशानियों को पलक झपकते दूर कर दिया। गरीबी में पले बढ़े लेकिन शिक्षण के दौरान ही सुसंस्कारों की पोटली अपने मस्तिष्क में बांधकर ले जाने वाले डॉ.शर्मा स्वार्थ से एकदम परे है। यही बजह है कि वे गांधी जयंती पर किए गए क्रन्तिकारी बदलाव का काफी श्रेय उनके मित्र और बैचमेट आईएएस अम्बरीष कुमार को देना नही भूले। बातचीत के दौरान उन्होंने बेझिझक कहा कि पेंशन योजनाओं के आवेदन का ऑनलाइन ब्ल्यू प्रिंट तत्कालीन शासन सचिव अम्बरीष कुमार ने तैयार किया था। यह अलग बात है कि उसे लागू करने का सौभाग्य मुझे व विभाग की दक्ष आईटी टीम को प्राप्त हुआ है। शर्मा बताते है कि इस तकनीकी से अब पर्यवेक्षण तथा आवेदनों के त्वरित निस्तारण में बहुत बड़ी मदद मिली है। लोक सेवा प्रदायीगी को आमजन के लिए सरल बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम उठाया गया है। अब हम पलक झपकते ही पात्र लाभार्थी को स्वीकृति जारी कर उसे प्रत्यक्ष लाभ शीघ्र हस्तांतरण कर पा रहे है।

विभाग इस उपलब्धि के लिए गौरवान्वित है कि उसने 2 अक्टूबर से 10 नवम्बर की अल्पावधि के दौरान रिकॉर्ड एक लाख पचपन हजार वृद्धजनो,विधवाओ एवं निशक्तजनों को आवेदन करते ही हाथोंहाथ पेंशन की स्वीकृति जारी कर दी।
डॉ.शर्मा बताते है कि सरलीकरण से सहज और पात्रों के लिए सुलभ बनाई गई नवीन स्वीकृति प्रक्रिया में आवेदक को सिर्फ अपना जनाधार नम्बर फीड करना होता है और उसके पश्चात उसका नाम,पता,आयु,बीपीएल स्टेटस तथा वार्षिक आय आदि की जानकारियां जनाधार डाटा रिपोजिटरी से स्वत ही प्राप्त हो जाती है। सॉफ्टवेयर द्वारा उसकी जांच कर पात्र पाये जाने पर उसी क्षण आवेदक की पेंशन स्वीकृत हो जाती है। तथा ई पी ओ जेनरेट होते ही आवेदनकर्ता के मोबाइल पर पेंशन स्वीकृति का मैसेज पहुंच जाता है। पहले इस कार्य को SDM एवं BDO किया करते थे लेकिन क्रन्तिकारी बदलाव के बाद इसे बिना मानवीय हस्तक्षेप के किया जाने लगा है।

डॉ0 शर्मा ने बताया कि पूर्व में विशेष योग्यजन पेंशन नियमों के तहत पात्रता की सिर्फ 7 श्रेणीया थी लेकिन अब इन्हें संशोधित कर 21 श्रेणियों में विभाजित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने अक्टूबर माह में 101672 वृद्धजन, 13682 अकेली नारी, 6360 विशेष योग्यजन, 227 कृषक वृद्धजन, 7514 वृद्धावस्था, 1738 विधवा और 41 अयोग्यजनों को पेंशन स्वीकृत की है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में बजट के चलते अन्य पिछड़ा वर्ग के वंचितों को छात्रवृत्ति योजना का पूरा लाभ नही मिल पाने के प्रश्न के जबाब में डॉ0 शर्मा ने स्वीकार किया कि अभी वांछित राशि उपलब्ध नही होने के कारण पहले आओ,पहले पाओ की तर्ज पर 50 प्रतिशत छात्रों को ही योजना का लाभ मिल पा रहा है। यदि केंद्र से 73 करोड़ के बजाय 200 करोड़ रुपये मिल जाए तो ओबीसी के सभी छात्रों को छात्रवृत्ति स्वीकृत की जा सकेगी।

प्रस्तुति-प्रकाश चन्द्र शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

%d bloggers like this: