बिहार के हरिदास शर्मा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित

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पटना। पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती शिक्षक दिवस के रूप में हम सभी मनाते हैं। इस अवसर पर तमाम शिक्षकों को जिनसे हमने अपने जीवन में कुछ न कुछ सीखा है उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं तथा उन्हें नमन करते हैं। इस कड़ी में सावित्री बाई फूले को भी स्मरण करना होगा, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में रहकर भी समाज में शिक्षा का अलख जगाया। अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ अनेक सामाजिक सुधार किए। महिला अधिकारों की वह जननी रही हैं। व्यक्ति, समाज और राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की महती भूमिका है। शिक्षक दिवस पर इस वर्ष राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक वर्चुअल समारोह में उत्कृष्ट कार्य सेवा के लिए देशभर के 44 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। बिहार के मात्र दो ही शिक्षकों हरिदास शर्मा एवं चंदना दत्त को यह सम्मान प्राप्त हुआ।

पटना के सर्किट हाउस में हरिदास शर्मा से अमरनाथ शर्मा की मुलाकात और बातचीत का अंश प्रस्तुत है…..
प्रश्न- राष्ट्रपति से सम्मान पाकर कैसा महसूस कर रहे हैं?
उत्तर- यह मेरे लिये ऐतिहासिक और गर्व का पल था। मेरे आंखें नम हो गई थी। मैं सिर्फ अपने दायित्व का निर्वहन कर रहा था और जीवन में इसकी कल्पना नहीं की थी।
प्रश्न- क्या खास था जो आपको इस प्रतिष्ठित अवार्ड के लिए चुना गया?
उत्तर- राजकीयकृत मध्य विद्यालय, डहरक, जिला- कैमूर के प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में अनेक नए आयामों को मूर्त रूप दिया, जो सरकारी विद्यालयों में एक अलग अमिट छाप छोड़ती है। इस विद्यालय का प्रभार मुझे 2014 में मिला था। उस वक्त करीब 400 छात्र थे, वर्तमान में 667 छात्र हैं। स्कूल की स्वच्छता, रंग रोगन, खेलकूद तथा बागवानी की सुंदर व्यवस्था के साथ महापुरुषों की जीवनी को क्यूआर कोड के साथ डिजिटल किया। कक्षाओं को इन महापुरुषों का नाम देकर इस क्यूआर कोड को दरवाजे के ऊपर लगाया ताकि उसे स्कैन कर छात्र महापुरुषों की जीवन संघर्ष को जाने तथा उनसे प्रेरणा लें। इसी तरह फूल पौधों को भी क्यूआर कोड से चिन्हित कर बॉटनिकल जानकारी उपलब्ध कराने का काम किया। स्मार्ट क्लासेस की व्यवस्था की। इन कार्यों में मेरी व्यक्तिगत रूचि थी। इसे मूर्त रूप देखकर छात्र, शिक्षक व कर्मचारीगण के अतिरिक्त अभिभावकों का भी सहयोग विशेष मिलने लगा। नतीजतन छात्रों का सर्वांगीण विकास होने लगा। यहां के छात्र राष्ट्रीय आय सह मेधा परीक्षा में बढ़-चढ़कर भाग लेने लगे। प्रतिवर्ष औसतन 5-6 छात्र तथा इस वर्ष 8 छात्रों ने सफलता प्राप्त की है। दीवारों पर चित्रकला मैंने बनाई, ऑटोमेटिक रिंग बेल लगवाया। इन कार्यों से प्रभावित होकर 2019 में जिलाधिकारी ने शिक्षक दिवस के अवसर पर ही उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया। हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में भी शिक्षक गौरव सम्मान मुझे मिल चुका है और आज राष्ट्रपति महोदय के द्वारा प्रशस्ति पत्र, सिल्वर मेडल तथा 50 हजार की राशि के साथ राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त हुआ। बिहार राज्य सरकार के द्वारा भी सम्मान के साथ 30 हजार का चेक प्राप्त हुआ है। मैंने पूर्व में ही घोषणा कर दी है कि उक्त राशि विद्यालय, सहकर्मी तथा छात्रों के विकास के लिए होगा।
अंतिम प्रश्न – समाज के लिए कोई संदेश?
उत्तर- जी! उन्नत शिक्षा का अलख हर घर पहुंचे। समाज में पठन-पाठन की अभिरुचि बढ़े। जागरूकता फैलाने की अब भी जरूरत है। हम सब अपनी सहभागिता एवं दायित्व को समझें तभी स्कूल आदर्श बनेगा और समाज आदर्श कहलायेगा।

बता दें कि चार भाइयों में सबसे बड़े हरिदास शर्मा, स्वर्गीय संत प्रसाद शर्मा के पुत्र हैं जिन्होंने अपने कार्यों से ना केवल विद्यालय, जिला एवं राज्य को सम्मान दिया है, बल्कि राष्ट्र को भी गौरवान्वित किया। सम्पूर्ण समाज इनके सुखद जीवन एवं उज्जवल भविष्य की मंगल कामना करता है।

प्रस्तुति : अमरनाथ शर्मा, पटना।

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