पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना के तहत कारीगरों की 145 जातियों को फायदा पहुंचायेगी केन्द्र सरकार

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भारतीय जनता पार्टी ने मोदी सरकार के माध्यम से एक बड़ी सोशल इंजीनियरिंग की तैयारी की है। बजट में घोषित प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना का फायदा देश की करीब 145 जातियों के लोग उठा सकेंगे। भाजपा कारीगरी जैसे पुश्तैनी पेशे से जुड़े इन परिवारों को ‘ग्रीनफील्ड’ के तौर पर देख रही है, क्योंकि इनके लिए अभी कोई कॉमन प्लेटफॉर्म नहीं है। जिन जातियों को योजना का हिस्सा बनाया गया है वह सभी जातियां अलग-अलग प्रदेशों में ब्राह्मण, ओबीसी, एससी और एसटी में आती हैं। इन 145 जातियों में से 60 जातियों का संख्या बल यूपी, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और गुजरात की दर्जनों सीटों पर ज्यादा है। इस योजना को 2024 के लोकसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है।

भाजपा के एक रणनीतिकार ने बताया कि यूपी के 80 संसदीय क्षेत्रों में सपा और बसपा के कोर वोट के साथ इन जातियों का जुड़ाव नहीं है। 2014 की मोदी लहर में उत्तर प्रदेश में इन जातियों की अहम भूमिका रही है। इसलिए भाजपा इन वोटों को स्थायी रूप से अपने साथ जोड़ने के लिए विशेष योजना लाई है। योजना के दायरे में ब्राह्मण से लेकर एसटी तक हैं जिन्हें आर्थिक मदद मिलेगी।

हुनर के कामों से जुड़ी दर्जनों जातियां आर्थिक रूप से तो पिछड़ी हैं, पर सामाजिक स्तर पर खुद को ऊंचे स्तर पर रखती हैं। विश्वकर्मा योजना के दायरे में आने वाले कई समुदाय ऐसे भी हैं, जो ब्राह्मण वर्ग में हैं। उन्हें पहली बार ऐसी किसी सरकारी योजना में हिस्सा मिला है, जो पिछड़ों के लिए होती हैं। इनमें चतुर्वेदी, मालवीय, आचार्य, साहू, रस्तोगी, द्विवेदी, उपाध्याय, महापात्र, पांचाल ब्राह्मण, विश्वब्राह्मण, पंचोली, जिंटा, पित्रोदा, झा आदि शामिल हैं।

इस योजना के तहत कारोबार शुरू करने के लिए सरकार कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक मदद देगी। इन्हें एमएसएमई शृंखला से जोड़ा जाएगा। जिन लोगों के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है, उन्हें बिना गारंटी सस्ता लोन मिलेगा। कारीगरों और शिल्पकारों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी। इसके जरिए स्वरोजगार बढ़ाने की योजना है। जिन लोगों के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है, उन्हें बिना गारंटी सस्ता लोन मिलेगा। कारीगरों और शिल्पकारों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना में शामिल वर्गों के मुख्य पेशे- एंटीक आइटम बनाने वाले, टोकरी, सेरामिक्स, क्लॉक मेकिंग, एम्ब्रायडरी, रंगाई, ब्लॉक प्रिटिंग, साज, डेकोरेटिव पेंटिंग, ग्लासवर्क, फैब्रिक, फर्नीचर, उपहार, होम डेकोर, जेवर, लेदर क्राफ्ट, मेटल क्राफ्ट, पेपर क्राफ्ट, पॉटरी, कठपुतली, स्टोनवर्क, वुडवर्क आदि हैं। इन सभी को योजना का लाभ मिलेगा। सरकार ने जिन जातियों को सूचीबद्ध किया है वह ये हैं- कंसाला, रावत, कंसन, रायकर, कंशाली, सागर, करगथरा, साहू, कर्माकर, सरवरिया, कॉलर, शर्मा, कॉलर पोंकोलर, शिल्पी, केसर, कुलाचर, सिन्हा, कुलारिया, सोहागर, सोनगरा, लौता, सोनार, लोहार, सोनी, महुलिया, सुथार, मैथिल, स्वर्णकार, मालवीय, ठाकुर, मलिक, ताम्रकार, राना, राधिया, राव, पल्लीवल, और मधुकर कंसाली, चेट्टियन, कांचरी, चिक्कमने, कंचुगारा, चिपेगारा, कन्नालन, चोल, कन्नालर, कन्नार (पीतल का काम करने वाला), दास, अचारी, देवगन, आचार्य थैचर, धीमान, ढोले, एक्कासले, अर्कासल्ली, गज्जर, असारी, गीड, असारी ओड्डी, गज्जिगर, असला, गिज्जेगरा, औसुल, माशूक, बघेल, गुर्जर, बदिगर, जैंगर, बग्गा, जांगिड़, बैलापाथारा, कलसी, बैलुकम्मारा, कमार भादिवाडला, कंबारा, भारद्वाज, कम्मालन, बिधानी, कमलार, विश्वकर्मा, कमलार, बोगारा, कम्मारा, बोस, कम्मारी, ब्रह्मलु, कम्मियार, चारी और कमसला मालवीय, टमटा, माताचार, तारखान, थैचर, मेवाड़ा, थाटन, मिस्त्री, उपंकर, मोहराना, उत्तरादि (स्वर्णकार), मूलेकामरास, वडला, ओझा, वद्रांसी, पांचाल, वत्स, पांचाल ब्राह्मण, विप्पाता, पंचालार, विश्वब्राह्मण, पंचोली, विश्वकर्मा, पत्थर, विश्वकर्मा मनु, मायाब्रह्म, पथरा परिदा, वक्सली, पत्थर, जिंटा, पातुरकर, प्रजापति, सतवारा, पोरकोलर, राम गड़िया, मारू आदि।

केन्द्र सरकार की इस योजना के तहत पहली बार परम्परागत कारीगरों को इस तरह की सुविधा मिलने जा रही। परम्परागत कारीगरों के कई संगठन समय-समय पर मांग करते रहे हैं कि सरकार परम्परागत कारीगरों के लिये योजना ले आये। अंततः मोदी सरकार ने संगठनों की आवाज सुन ली और इस तरह की योजना की घोषणा बजट में कर दी। (साभार)

-कमलेश प्रताप विश्वकर्मा

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