कारपेंटर ने लकड़ी पर लिखे गीता के 706 श्लोक, प्रधानमन्त्री मोदी ने मिलने बुलाया

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कानपुर। कानपुर के एक युवक ने लकड़ी के पन्नों पर लकड़ी के अक्षरों से पूरी गीता बना डाली। इसमें 706 श्लोक और 18 अध्याय हैं। यह गीता 32 पन्ने की है। इस युवक ने जब गीता बनानी शुरू की थी तो उस वक़्त वह गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को भेंट करना चाहता था। मोदी जब देश के पीएम बने तो उन तक पहुंचने में उसे तीन साल लग गए। 20 फरवरी को उसके लिए प्रधानमन्त्री कार्यालय से फोन आया। उसे गीता लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय बुलाया गया है।
संघर्षपूर्ण रहा जीवन— बर्रा थाना क्षेत्र के जरौली फेस-2 में संदीप सोनी का पूरा परिवार रहता है। उसके परिवार में मां सरस्वती, पत्नी पूजा सोनी और दो बच्चे हैं। पिता की कैंसर से मौत के बाद परिवार टूट गया था। दो बहनों की शादी के साथ पढ़ाई की जिम्मेदारी भी संदीप पर ही आ गई। वह दुकानों में साफ-सफाई का भी काम करने लगा था। इसके बाद संदीप ने आईटीआई से कारपेंटर का कोर्स किया।
लोग उड़ाते थे मजाक— संदीप ने बताया कोर्स करने के दौरान कारपेंटर ट्रेड को लेकर सभी मेरा मजाक उड़ाते थे। तभी मेरे मन में विचार आया की इसी ट्रेड से कुछ कर दिखाना है। काम के बाद जो भी समय मिलता था उसमें लकड़ी की गीता बनाने का काम करता था। साल 2009 में गीता बनाने का काम शुरू किया था जो 2013 में ख़त्म हुआ।
नरेंद्र मोदी के हैं ‘फैन’— संदीप गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से खासा प्रभावित थे। जब वे प्रधानमंत्री बने तो उनसे मिलकर गीता भेंट करने के प्रयास किए लेकिन नाकाम रहे। पीएम की कानपुर रैली के दौरान भी प्रयास किया लेकिन नहीं मिल सके।
पीएम से मिलने की कोशिश जारी रखी— नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद 26 जून 2014 को भी दिल्ली गए और पीएमओ में लेटर देकर वापस लौट आए। तीन माह बीत जाने के बाद जब कोई जवाब नहीं आया तो 2 अगस्त 2014 को एक आरटीआई डाली थी। आरटीआई के जवाब में पीएम के निजी सचिव को एक लेटर भेजने को कहा गया। पीएमओ कार्यालय में लगातार फोन भी करते रहे।
आ ही गया कॉल— 20 फरवरी 2016 को पीएमओ कार्यालय से फोन आया कि आप अपनी गीता लेकर पीएमओ आ जाएं। इस बुलावे से संदीप ने राहत की सांस ली। परिवार में भी ख़ुशी का माहौल है।
एक श्लोक लिखने में लगते हैं पांच दिन— संदीप के मुताबिक यह लकड़ी की गीता लकड़ी के बेकार स्क्रैब से बनी है। गीता के स्लोक को लकड़ी के फ्रेमों में चिपकाया गया है। इसे बनाने में लगभग 20 हजार रुपए का खर्च आया है। एक श्लोक लिखने में चार से पांच दिन का समय लग जाता था।
आज भी सुबह बांटता है अख़बार— संदीप की मां ने बताया कि वह आज भी सुबह उठाकर अख़बार बांटता है। उसके बाद वह कारपेंटर का काम करता है। काम से लौटने पर गीता बनाने के काम में जुट जाता है। आज बेटे की मेहनत रंग लाई है। उन्होंने बताया कि वे मूलतः रायबरेली जिले के तिवारीपुर के रहने वाले हैं।

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