यह कैसा रामराज्य है, तेरे अपने हैवानों के साथ क्यों हैं?

Spread the love

वह धू-धू कर जल रही थी लेकिन लोग निद्रा में लीन थे। सो रहा था प्रशासन, पर वह न्याय की आस में जग रही थी। उसे आस थी, उम्मीद थी, विश्वास था इस विधान पर, न्याय पर और अपनों पर कि मेरे साथ इंसाफ होगा। उसे तो पता था प्यार होना गलत नहीं, किन्तु सामाजिक स्तर की वह कड़वी सच्चाई नहीं पता थी कि अंत में उनकी लोक लज्जा जीवनसंगिनी नहीं बनने देगी। वह शादी के डोरे में तो नहीं बंध पाई, अलबत्ता इस बीच लड़के द्वारा किये गये शादी के वादे और विश्वास के बीच वह अपना सबकुछ उसे सौंपती रही। सामाजिकता का डर और शरीर की भूख लड़कों को हैवान बनने की ओर अग्रसर भी कर देती है। कुछ ऐसा ही हुआ और जबतक लड़की को एहसास हुआ वह सबकुछ लुटा चुकी थी। वह ज्ञान-विधान को सर्वोपरि मान न्याय की ओर अग्रसर हुई। उसे क्या पता था कि न्याय की राह में, जांच के विधान में वाद भी होता है। उसे तो यह भी नहीं पता था कि उसकी अकाल मौत हैवानों के साथ आग के बवंडर के रूप में बढ़ी आ रही है।
हद हुई, सीमाएं पार हुई, न्याय का तराजू भी उलट गया और हैवान जमानत के रास्ते उसकी ओर बढ़ चले, वह दिसम्बर की 5 तारीख थी। ठगी सी घायल शेरनी की भांति न्याय के मंदिर की ओर जा ही रही थी कि “हैवानों का झुंड” जो घात लगाए ताक में थे आग हवाले कर गए। तब भी भागी न्याय की उम्मीद में, अन्याय से लड़ने के लिए। बुलाया रक्षक, पर नहीं पता था कि वह उसे वहां इलाज को भेजेंगे जहां से वह वापस नहीं आएगी। अंतिम सांस तक कहती रही, मुझे नहीं मरना, मुझे न्याय चाहिए। पर बेबस विधान सिस्टम में उलझा रहा और हाथ जोड़े खड़ा रहा। वह गई तो गई, चली गई, पीठ पीछे न्याय के लिए हुजूम को जन्म दे गई। वह वाद जो जन्मा था तब, अब बड़ा हो चला और न्याय की राह में रोड़ा बन चला। गैर तो गैर अपने भी वाद पर वाद खेलने लगे, उसके नाम को बदनामी की ओर धकेलने लगे। न्याय के लिए प्रशासन के गाल पर तमाचा मारने वाले, दूसरी ओर खड़े होने लगे। अन्याय का पलड़ा कलयुग में पुनः नीचे झुकने लगा। हे राम तू ही जाने कैसा रामराज्य है, तेरे अपने हैवानों के साथ क्यों हैं? आशा और उम्मीद है कि उसकी आग की चिंगारी से ही अन्यायी जल जाएंगे और तू चुपचाप तमाशबीन बना न्याय की ओर खड़ा हो जाएगा।

-अरविन्द विश्वकर्मा, सामाजिक चिन्तक एवं विचारक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: