20वें बसन्त की दहलीज पर ‘विश्वकर्मा किरण’

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विश्वकर्मावंशीय समाज के बीच पत्रिका के रूप में जब भी ”विश्वकर्मा किरण” का नाम आता होगा तो शायद आप सभी पाठकों को उसके नये सिरे से परिचय की आवश्यकता नहीं महसूस होती होगी, ऐसा मेरा विश्वास है। 19 वर्ष का कठिन संघर्ष, जो लगातार आगे भी जारी है के फलस्वरूप अपनी पहचान बनाये रखना बड़ी उपलब्धि है। आप सभी के स्नेह, आशिर्वाद और सहयोग ने इस संघर्ष के लिये बड़ी शक्ति दी है। 6 दिसम्बर, 1999 से 4 पेज के छोटे से अखबार ने आज पत्रिका का रूप ले लिया है जो आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की पूरी कोशिश कर रहा है।
एक प्रकाशक और सम्पादक के रूप में ‘समाज की दशा और दिशा’ को अपने संकल्पों में संजोये निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर हूं। पत्रिका प्रकाशन में बाधाएं आती रही हैं और उसका निराकरण भी आप सभी के सहयोग से होता रहा है। समय सभी को आईना दिखाता है जिसे मैंने भी देखा है और देख भी रहा हूं। मुझे समाज के किसी भी व्यक्ति से कोई शिकायत नहीं कि उन्होंने प्रकाशन में सहयोग किया अथवा नहीं। मेरा ही नहीं अपितु सभी सामाजिक चिन्तकों का स्पष्ट मानना है कि साहित्य किसी भी रूप में हो, वह समाज का दर्पण होता है। जिन्होंने इस बात को समझा उन्होंने सहयोग किया, जिनको बाद में समझ आयेगी निश्चित तौर पर वह भी सहयोग करेंगे।
सहयोग और समर्थन किसी भी व्यक्ति के अभिरूचि पर निर्भर होता है। बड़े से बड़े प्रकाशन समूह भी बिना सहयोग के प्रकाशन नियमित नहीं रख पाते हैं। आप सभी के सामने मेरे द्वारा कई बार सहयोग शब्द का प्रयोग किया गया है। इसकी मुख्य वजह यही है कि कई बार लोग भ्रमित हो जाते हैं कि यह पत्र/पत्रिका इनकी निजी है। प्रकाशन जरूर किसी एक व्यक्ति द्वारा किया जाता है परन्तु वह समूह/समाज के लिये ही होता है। प्रकाशन की कठिनाइयों को सिर्फ एक प्रकाशक ही समझ सकता है, चाहे छोटा हो या बड़ा।
हां, यह जरूर है कि ”विश्वकर्मा किरण” पत्रिका का प्रकाशन एक बहुत ही गरीब व्यक्ति के द्वारा किया जा रहा है तो खिल्ली उड़ाया जाना भी स्वाभाविक है। परन्तु मैं इस खिल्ली को गलत नहीं मानता बल्कि चुनौती के रूप में स्वीकार करता हूं। हर अच्छे काम में बाधा आती है पर वह टिक नहीं पाती। ठीक उसी तरह खिल्ली और उपहास भी एक दिन रास्ते से हट जायेंगे। सामाजिक एकता और विकास के लिये मेरे द्वारा लिया गया संकल्प आप सभी के आशिर्वाद से निश्चित ही मजबूत स्थिति में होगी ऐसी अभिलाषा है।
”विश्वकर्मा किरण” समाज का स्पष्ट आईना हो, इसके लिये आप सभी के स्नेह और आशिर्वाद के बलबूते संघर्ष जारी है। पुन: स्नेह, आशिर्वाद और सहयोग की आकांक्षा के साथ आप सभी को पत्रिका परिवार की तरफ से ‘नववर्ष—2019’ की बहुत—बहुत शुभकामनाएं।

—कमलेश प्रताप विश्वकर्मा

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