कभी गरीबी के कारण नहीं निकाल पाईं एलबम, अब बंदना धीमान के गाने हर जुबां पर

Spread the love
हमीरपुर (हि0प्र0)। गरीबी के कारण कभी एलबम नहीं निकाल पाईं थीं, लेकिन आज उनके भजन हर किसी की जुबां पर हैं। ऐसी ही कहानी है मैहरे निवासी बंदना धीमान की। बंदना को बचपन से ही गाने का शौक था। उन्हें खुद पर विश्वास था। गरीबी भी उनकी कला को नहीं छुपा पाई और न ही उनका विश्वास डगमगाया।
वंदना ने सात साल की उम्र में स्टेज पर गाना शुरू किया। इसके बाद अनेकों प्रस्तुतियां विभिन्न मंचों पर दीं। वंदना की शादी वर्ष 2007 में परविंद्र कुमार से हुई। परविंद्र खुद संगीतकार हैं। पति का सहयोग मिलने के बाद बंदना ने अपनी एलबम निकालनी शुरू की। उनकी सबसे पहली एलबम सौण महीना को लोगों ने काफी सराहा। इसके बाद एक के बाद एक एलबम निकालती गईं। उन्होंने खुद की 12 एलबम निकाली हैं। इनमें से मंदरा द नजारा…, मन मोह लिया कुंडलया वालेया…, पानी री टांकी…, मेरे सद्गरु प्यारे.. आदि हिट रहीं। मन मोह लिया कुंडलया वालेया…गाने को तो यू ट्यूब पर 20 लाख से अधिक लोग देख चुके हैं।
पैसे न होने के चलते छोड़नी पड़ी थी संगीत की शिक्षा-
वंदना का कहना है कि बचपन से माता-पिता ने कभी गाने से नहीं रोका। लेकिन तीन माह के लिए वह जब हमीरपुर में संगीत सीखने के लिए जाती रहीं तो पैसे की कमी और हमीरपुर दूर होने के कारण उन्हें संगीत सीखना छोड़ना पड़ा। पिता दर्जी का काम करते थे। इसलिए पैसे की कमी आड़े आई, लेकिन शादी के बाद पति ने पूरा सहयोग किया।
मन मोह लेया कुंडला वालेयां… से मिली शोहरत-
सभी गाने हिट रहे, लेकिन मन मोह लेया कुंडला वालेयां.. और मदरां द नजारा… इन दोनों गानों ने उन्हें शोहरत दिलाई। वह मुम्बई, दिल्ली, चंडीगढ़, उत्तराखंड आदि शहरों में विभिन्न मंचों पर प्रस्तुतियां दे चुकी हैं। उन्होंने कहा कि पहले वह धर्मिक गाने ही गाती थीं, लेकिन अब लोगों की मांग पर वह अन्य गाने भी गाने लगी हैं। जल्द ही उनकी नई एलबम आएगी। उन्होंने कहा कि माता-पिता और बड़ों के आदर के साथ-साथ दृढ़ विश्वास से जीवन में सफलता पाई जा सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d bloggers like this: